राजस्थान के प्रमुख मंदिर : अजमेर के मंदिर :
ब्रह्मा मंदिर –
• सम्पूर्ण विश्व में प्रथम ब्रह्मा मंदिर अजमेर जिले के पुष्कर में स्थित है। मंदिर में चतर्मुखी ब्रह्माजी की मूर्ति प्रतिष्ठित है। इसी मंदिर में सूर्य भगवान की जूते पहने संगमरमर की मूर्ति प्रहरी की भाँति खड़ी है।
सावित्री मंदिर-
• पुष्कर में ब्रह्माजी की पहली पत्नी सावित्री जी का मंदिर बना हुआ है। यहाँ पर भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को मेला लगता है। सावित्री माता मंदिर पर रोपवे की सुविधा उपलब्ध है।
रंगनाथजी मंदिर –
• इस मंदिर का निर्माण पुष्कर (अजमेर) में सेठ पूरणमल ने 1844 ई. में करवाया था। पुष्कर का रंगनाथ मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय की रामानुज शाखा से संबंधित है, जो अपनी गोपुरम् आकृति के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान विष्णु, लक्ष्मी तथा नृसिंह की मूतियाँ स्थापित हैं।
सोनीजी की नसियां –
• लाल पत्थर से निर्मित यह मंदिर प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को समर्पित है। अजमेर में स्थित इस मंदिर का निर्माण मूलचंद सोनी द्वारा प्रारंभ किया गया था जिसे उसके पुत्र टीकमचंद ने पूर्ण करवाया। इसमें संगमरमर की दीवारें व प्रवेश द्वार लाल पत्थर से बना है जिन पर काष्ठ आकृतियाँ तथा शुद्ध स्वर्ण पत्थरों से जैन तीर्थंकरों की छवियाँ व चित्र बने हैं।
वराह मंदिर –
• 12वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण पुष्कर में अर्णोराज ने करवाया था। औरंगजेब ने इस मंदिर को तुड़वा दिया था, जिनके भग्नावशेषों पर जयपुर नरेश जयसिंह ने नये मंदिर का निर्माण करवाया।
• अन्य मंदिर– नवग्रहमंदिर (किशनगढ़), काचरियानाथ मंदिर (किशनगढ़), रमा बैकुंठ मंदिर, गायत्री मंदिर।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर : अलवर के मंदिर
नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर-
• यह एक गुर्जर प्रतिहारकालीन मंदिर है जिसका निर्माण बड़गुर्जर राजा अजयपाल ने 10वीं सदी में करवाया।
भर्तृहरि मंदिर –
• यह अलवर में स्थित है। महाराजा जयसिंह ने 1924 में इस मंदिर को आधुनिक स्वरूप दिया। यहाँ मुख्य मेला भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को लगता है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा भर्तृहरि की आराधना करते हैं। इस मंदिर के पास में हनुमान मंदिर, शिव मंदिर व श्रीराम मंदिर स्थित हैं।
तिजारा जैन मंदिर-
• यह मंदिर जैनधर्म के 8वें तीर्थंकर भगवान् चन्द्रप्रभु को समर्पित हैं।
पांडुपोल मंदिर-
• यहाँ पर हनुमानजी की शयन मुद्रा में प्रतिमा स्थापित है। यहाँ पर मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों को कौरवों की सेना ने आ घेरा था, तब भीम ने पहाड़ में गदा मारकर अपना रास्ता निकाला था, तब से यह स्थान पांडुपोल के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
• अन्य मंदिर– नारायणी माता मंदिर (बरवा डूंगरी), नौगजा जैन मंदिर, नौगावाँ का जैन मंदिर, नीलकण्ठ मंदिर।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर : बाँसवाड़ा के मंदिर
अर्थणा मंदिर –
• बाँसवाड़ा के अर्थणा में स्थित मंदिर कई हिन्दू एवं जैन मंदिरों का समूह यहाँ के मंदिरों में शैव, वैष्णव, जैन आदि सम्प्रदायों का समन्वय देखने को मिलता है। यहाँ पर प्राचीन मण्डलेश्वर महादेव का मंदिर है जो पूर्वाभिमुख और पंचायतन प्रकार का है।
कालिंजरा के जैन मंदिर-
बाँसवाड़ा के निकट हिरण नदी के तट पर कालिंजरा ग्राम में बना दिगम्बर जैनियों का मंदिर है और ऋषभदेव के नाम से विख्यात है।
त्रिपुरा सुन्दरी मंदिर –
यह मंदिर तलवाड़ा पंचायत के समीप उमराई गाँव में स्थित है। स्थानीय लोग इसे तरतई माता, त्रिपुरा महालक्ष्मी के नाम से पुकारते है। मंदिर में काले पत्थर से निर्मित 18 भुजाओं वाली प्रतिमा है। मंदिर के समीप एक शिलालेख विक्रम संवत् 1540 का लगा हुआ है। धार्मिक आस्था के इस पर्यटन स्थल पर चैत्र एवं आश्विन नवरात्र में हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामना हेतु यहाँ आते हैं।
• अन्य मंदिर– घोटिया अम्बा, नन्दनी माता तीर्थ (बाड़ोदिया), धूणी के रणछोड़ जी।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर : बाराँ के मंदिर
भण्डदेवरा का शिव मंदिर-
बारां जिले के रामगढ़ में स्थित भण्डदेवरा का शिव मंदिर ‘हाड़ौती का खजुराहो’ तथा ‘राजस्थान का मिनी खजुराहो’ के रूप में प्रसिद्ध है। पंचायतन शैली में निर्मित इस मंदिर का निर्माण 10वीं सदी में मेदवंशीय राजा मलय वर्मा ने करवाया था।
सीताबाड़ी का मंदिर-
यह मंदिर सीतामाता व लक्ष्मण को समर्पित है। यहाँ सीताबाड़ी का प्रसिद्ध मेला लगता है। यह सहरिया जनजाति का कुंभ माना जाता है। यह स्थान लव-कुश की जन्मस्थली भी मानी जाती है।
अन्य मंदिर– ब्राह्मणी माता मंदिर (सोरसेन), काकूनी धाम, गड़गच्च देवालय।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर : भरतपुर के मंदिर
गंगा मंदिर –
गंगा मंदिर का निर्माण भरतपुर शहर में महाराजा बलवंत सिंह द्वारा 1845 में बनवाना शुरू किया था जिसका निर्माण 1935 में पूर्ण हुआ। महाराजा बलवंत सिंह उत्तराधिकारी बृजेन्द्र सिंह ने इस मंदिर में देवी गंगा देवी की मूर्ति की स्थापना की थी। इसके निर्माण के लिए राज्य के सभी कर्मचारियों तथा समृद्ध लोगों ने एक एक माह का वेतन दिया था। यह मंदिर राजपूत, मुगल तथा द्रविड़ स्थापत्य शैली का सुंदर मिश्रण है। यहाँ का मुख्य आकर्षण भगवान कृष्ण, लक्ष्मीनारायण व शिव-पार्वती की मूर्तियाँ हैं। गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा के अवसर पर बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
ऊषा मंदिर –
• रानी चित्रलेखा द्वारा निर्मित यह मंदिर बयाना दुर्ग का प्रमुख आकर्षण है, जो मुख्यतः लाल पत्थरों से बना है। गुलामवंशीय सुल्तान इल्तुतमिश के शासनकाल में इस भव्य मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया तथा ऊषा की प्रतिमा खंडित कर दी गयी। 18वीं शताब्दी में बयाना दुर्ग पर जाटों का आधिपत्य हुआ तो पुनः इसे मंदिर का स्वरूप दे दिया गया।
• अन्य मंदिर- लक्ष्मण मंदिर, गोकुलचंद मंदिर (कामाँ)।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर : बाड़मेर के मंदिर
किराडू के मंदिर –
• किराडू का प्राचीन नाम किराट कूप था जो बाड़मेर जिले के हाथमा गाँव के पास स्थित है। मंदिर निर्माण में कामुकता के कारण किराडू को ‘राजस्थान का खजुराहो’ भी कहा जाता है। इतिहासकारों के अनुसार यहाँ के मन्दिरों का निर्माण 11 वीं शताब्दी में परमार वंश के राजा दुलशालराज एवं उनके वंशजों ने करवाया था। यहाँ स्थित पाँच मन्दिरों के समूह में वैष्णव एवं शैव मन्दिर बने हैं। किराडू के मन्दिरों में सोमेश्वर मन्दिर सबसे बड़ा, आकर्षक, सुन्दर एवं भगवान शिव को समर्पित है। मारू-गुर्जर शैली के इस मन्दिर में गर्भगृह, सभा मण्डप, द्वार मण्डप एवं मूल प्रासाद बने हैं। किराडू के मन्दिरों में विष्णु मन्दिर भी उल्लेखनीय है। यह मन्दिर ‘सोमेश्वर मन्दिर’ की अपेक्षाकृत आकार में छोटा है तथा भगवान विष्णु को समर्पित है।
नाकोडा जैन मंदिर –
• बाड़मेर जिले में स्थित यह मंदिर तीसरी शताब्दी में निर्मित है। यहाँ सबसे बड़ा मंदिर पार्श्वनाथ का है। आलमशाह ने 13वीं शताब्दी में इस मंदिर पर हमला किया था।
रानी भटियानी मंदिर –
बाड़मेर जिले के जसोल गाँव में स्थित रानी भटियानी का मंदिर मुख्यतया ढोली जाति की आस्था का केन्द्र है। ‘भुआ सा’ के नाम से प्रसिद्ध रानी भटियानी जैसलमेर के जोगीदास गाँव की राजकुमारी थी तथा भाटी राजपूत थी।
नाकोड़ा मंदिर-
• बालोतरा में 23वें जैन तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजित है। एक किवदंति के अनुसार यह प्रतिमा जिनदत्त नामक जैन श्रावक को सिणधरी गाँव के तालाब से प्राप्त हुई थी।
हल्देश्वर महादेव मंदिर-
• बाड़मेर के पिपलूद गाँव में छप्पन की पहाड़ियों में स्थित मंदिर, जिसे राजस्थान का लघु माउंट कहा जाता है।
• अन्य मंदिर– आलमजी का मंदिर (धोरीमन्ना), विरात्रा माता का मंदिर, मल्लीनाथजी का मंदिर (तिलवाड़ा), ब्रह्मा मंदिर (आसोतरा), रणछोड़ रायजी का मंदिर।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर : बीकानेर के मंदिर
कपिलमुनि का मंदिर
कोलायत में कोलायत झील के किनारे कपिल मुनि का मंदिर है। किवदंति के अनुसार यहाँ कपिल मुनि का आश्रम था, उन्होंने यहाँ पर ही सांख्य दर्शन का प्रतिपादन किया था। कार्तिक पूर्णिमा को यहां पर विशाल मेला लगता है।
भांडाशाह जैन मंदिर-
• जैन धर्म के 5वें तीर्थंकर सुमतिनाथजी का मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण राव लूणकरणसर के समय घी व्यवसायी भांडाशाह ओसवाल ने करवाया था।
• अन्य मंदिर- करणीमाता मंदिर (देशनोक), भैरव मंदिर (कोड़मदेसर), जांभोजी का मंदिर (मुकाम-तालवा), लक्ष्मीनारायणजी मंदिर, रतनबिहारी मंदिर।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर : चित्तौड़गढ़ के मंदिर
बाडोली का शिवमंदिर-
• बाड़ोली कोटा के लगभग 50 किलोमीटर दक्षिण में चित्तौड़गढ़ जिले में रावतभाटा कस्बे के पास स्थित है। यहाँ पर 8वीं से 12वीं शताब्दी के मन्दिर एक सूमह के रूप में विद्यमान हैं। इस मन्दिर समूह में नौ शैव मन्दिर बने हैं, जिसमें शिव, विष्णु, त्रिमूर्ति, वामन, महिषमर्दिनी एवं गणेश के मन्दिर प्रमुख है। इन सभी मंदिरों में घटेश्वर शिवालय सबसे प्रमुख एवं प्रसिद्ध मन्दिर है। इन मन्दिरों को सबसे पहले प्रकाश में लाने का श्रेय जैम्स टॉड (1821 ई.) को दिया जाता है। इन सभी मंदिरों में घटेश्वर शिवालय सबसे प्रमुख एवं प्रसिद्ध मन्दिर है।
समिद्धेश्वर मंदिर –
• 1428 ई. में इस मंदिर का जीर्णोद्धार महाराणा मोकल द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर में प्रतिष्ठित शिव मूर्ति विशालता की दृष्टि से अपूर्व है। इस मंदिर में जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ भी प्रतिष्ठित हैं।
तुलजा भवानी मंदिर-
• चित्तौड़गढ़ किले में प्रवेश करते ही रामपोल के पास बने इस मंदिर का निर्माण दासी पुत्र बनवीर द्वारा कराया गया।
कुंभश्याम मंदिर-
• चित्तौड़गढ़ दुर्ग में यह मूलतः शिव मंदिर था तथा इसे बाद में वैष्णव मंदिर बनाया गया। इस मंदिर को मलेच्छों द्वारा नष्ट किये जाने के बाद महाराणा कुंभा ने इसका 1449 ई. में जीर्णोद्धार करवाया। मंदिर में कृष्ण लीला, शिव-पार्वती विवाह तथा शेषशायी विष्णु आदि के दृश्य चित्र उकेरे गए हैं।
मीरा बाई मंदिर-
चित्तौड़गढ़ किले में यह मंदिर कुंभश्याम मंदिर के पास ही बना हुआ है, जिसक निर्माण महाराणा सांगा ने अपनी पुत्रवधू मीरा की भक्ति के लिए करवाया था। इसी मंदिर के सामने रैदास की चार खंभों की छतरी भी बनी हुई है।
कालिका माता मंदिर-
• इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ के गुहिलवंशीय राजाओं ने 8वीं व 9वीं सदी में करवाया था। प्रारंभ में यह सूर्य मंदिर था। मुगलों के आक्रमण के समय सूर्य की मूर्ति तोड़ दी गई तथा बाद में उसकी जगह कालिका माता की मूर्ति स्थापित कर दी गई।
अन्य मंदिर– शृंगार चंवरी, सतवीश देवरी, बाणमाता मंदिर, सांवलियाजी मंदिर (मंडफिया), आवरी माता, मातृकुंडिया।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर : चूरू के मंदिर
सालासर बालाजी मंदिर-
• सालासर बालाजी धाम राजस्थान के चूरू जिले में सीकर जिले की सीमा पर स्थित है। हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा पर बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। भारत में यह एकमात्र बालाजी का मंदिर है जिसमे बालाजी के दाढ़ी और मूँछ है।
• मोहनदास बालाजी के भक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर बालाजी ने इन्हें मूर्ति रूप में प्रकट होने का वचन दिया।
तिरुपति बालाजी मंदिर-
• सुजानगढ़ में स्थित भगवान वैकंटेश्वर मंदिर का निर्माण श्री सोहनलाल जानोदिया द्वारा करवाया गया। इस मंदिर में देवस्थान विभाग आंध्रप्रदेश द्वारा प्रदत्त पाषाण एवं लौह धातुओं की मूर्तियाँ प्रतिष्ठापित की गई है। मंदिर में भित्ति चित्रों के माध्यम से भगवान विष्णु के दसों अवतारों को दर्शाया गया है।
साहवा का गुरुद्वारा-
• साहवा (चूरू) में राजस्थान का सबसे बड़ा सिक्खों का मेला लगता है। यहाँ पर गुरु गोविंदसिंह पधारे थे, उन्हीं की स्मृति में मेला भरता है।
• अन्य मंदिर – गोगाजी महाराज का मंदिर (ददरेवा-चूरू), स्यानण का मंदिर (सुजानगढ़-चूरू)।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर : दौसा के मंदिर
हर्षद्द्माता का मंदिर –
• दौसा जिले के सिकन्दरा कस्बे से उत्तर की ओर तथा बाँदीकुई से सात किलोमीटर की दूरी पर आभानेरी नामक एक छोटा गाँव स्थित है। इसका पुरातन नाम ‘आभा नगर’ (चमकदार नगर) था। यह गुर्जर-प्रतिहार काल में कला का एक समृद्ध केन्द्र था। यहाँ की स्थापत्य एवं शिल्पाकृतियों में आठवीं-नवी सदी का हर्षत माता का मन्दिर एवं चाँद बावड़ी प्रसिद्ध है। हर्षत माता के मन्दिर का निर्माण 8वीं-9वीं शताब्दी में चौहान वंशीय राजा चाँद ने करवाया था। यह मन्दिर 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी के आक्रमण से क्षतिग्रस्त हुआ था। जनश्रुति के अनुसार इस मन्दिर के गर्भगृह में हर्षत (अर्थात आनन्द की देवी) माता को प्रसन्न मुद्रा में नीलम के पत्थर से बनी लगभग 6 फीट ऊँचाई वाली प्रतिमा स्थापित थी। लेकिन सन् 1968 में यह प्रतिमा चोरी हो गई थी।
मेंहदीपुर बालाजी मंदिर –
• यह मंदिर दौसा जिले में स्थित है। यहा पर माना जाता हे की बालाजी भूत प्रेतो से छुटकारा दिलाते हे ।
• अन्य मंदिर – बैजनाथ मंदिर।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर : डूंगरपुर के मंदिर
बेणेश्वर मंदिर –
• बेणेश्वर मंदिर डूंगरपुर जिले में सोम, माही व जाखम नदियों के संगम पर स्थित है। यहाँ 5 फीट ऊँची खण्डित शिवलिंग की पूजा की जाती है। यह स्वयंभू शिवलिंग शीर्ष से पाँच हिस्सों में बँटा हुआ है। बेणेश्वर मंदिर के पास स्थित विष्णु मंदिर का निर्माण संत मावजी की पुत्री जनककुंवरी द्वारा 1793 में करवाया गया। मावजी के दो शिष्य ‘अजे’ और ‘वाजे’ ने यहाँ लक्ष्मीनारायण मंदिर का निर्माण करवाया। माघ शुक्ल पूर्णिमा को यहाँ पर विशाल मेला लगता है।
देवसोमनाथ मंदिर –
• डूंगरपुर जिले में गुर्जर प्रतिहारकालीन कच्छपघात शैली में पंचायतन शैली का मंदिर है जो 14वीं सदी में बना हुआ था।
विजय राज राजेश्वर मंदिर-
• डूंगरपुर में महारावल विजय सिंह द्वारा इसका निर्माण करवाया।
गवरी बाई मंदिर-
• महारावल शिवसिंह द्वारा ‘वागड़ की मीरा’ गवरी बाई के मंदिर का निर्माण करवाया।
• अन्य मंदिर– संत मावजी मंदिर (साबला, डूंगरपुर)।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर : जयपुर के मंदिर
गोविन्द देवजी मंदिर –
• यह मंदिर जयपुर शहर में स्थित है। यह मंदिर गौड़ीय सम्प्रदाय का प्रमुख मंदिर है। वल्लभ सम्प्रदाय की अनुयायी इनके बालरुप की पूजा करते हैं तो गौड़ीय सम्प्रदाय वाले युगल रूप अर्थात् राधाकृष्ण के रूप में पूजते हैं। यह मंदिर जगन्नाथपुरी, ब्रज और ढूँढ़ाड़ क्षेत्र की परम्पराओं का सुंदर संयोजन प्रस्तुत करता है। गोविन्द देवजी की प्रतिमा सवाई जयसिंह वृन्दावन से जयपुर लाए थे। जयपुर के शासक स्वयं को गोविन्द देवजी का दीवान मानते थे।
जगतशिरोमणि मंदिर –
जगतशिरोमणि मंदिर आमेर में स्थित है। इसका निर्माण कछवाहा शासक मानसिंह की पत्नी कंकावती ने अपने पुत्र जगतसिंह की स्मृति में करवाया था। मान्यता के अनुसार इस मंदिर में प्रतिष्ठित काले पत्थर की वह कृष्ण प्रतिमा है जिसकी मीरा चितौड़ में आराधना करती थी। महाराजा मानसिंह इसे चितौड़ में लेकर आए थे।
शिलादेवी का मंदिर –
• आमेर में स्थित शिलादेवी मंदिर का निर्माण कछवाहा शासक मानसिंह (1589-1614 ई.) ने करवाया था। मानसिंह शिलादेवी की मूर्ति को बंगाल से जीतकर लाया था। इस मंदिर के कपाट चाँदी के बने हुए हैं जिन पर विद्या देवियाँ व नवदुर्गा का चित्रण किया गया है।
कल्की मंदिर-
कलयुग के अवतार भगवान कल्की का विष्णु मंदिर है। इसे राजस्थान का प्रथम कल्कि मंदिर माना जाता है। सवाई जयसिंह द्वारा 1739 ई. में दक्षिणायन शैली में निर्मित यह मंदिर है। जयसिंह के दरबारी कवि कलानिधि देवर्षि श्रीकृष्ण भट्ट ने ‘ईश्वर विलास महाकाव्यम्’ में कल्की मंदिर का उल्लेख किया है।
गोपीनाथजी मंदिर-
• गौड़ीय सम्प्रदाय का एक प्रमुख मंदिर है, जिसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वारा करवाया गया।
गलताजी-
• जयपुर के इस प्रमुख धार्मिक स्थल के मंदिर, मंडप और पवित्र कुंडों के साथ यहाँ का हरियालीयुक्त प्राकृतिक दृश्य अत्यंत रमणीय है। गलताजी पहाड़ियों के मध्य बना हिन्दू धर्म का पवित्र तीर्थस्थल है। यहाँ पर दीवान कृपाराय द्वारा निर्मित सूर्य मंदिर भी है।
• अन्य मंदिर– नृसिंह मंदिर, लक्ष्मीनारायण बिड़ला मंदिर, जमवायमाता मंदिर (जमवारामगढ़), शीतलामाता मंदिर (शील डूंगरी, चाकसू), ज्वालामाता मंदिर (जोबनेर), चूलगिरि ।
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